श्रेयस कई सालों से अपना बिजनेस चला रहा है और उसे इसमें ठीक-ठाक फायदा भी मिल जाता है। लेकिन कहते हैं न कि हर दिन एक जैसे नहीं होते। ठीक ऐसा ही श्रेयस के साथ भी हुआ। श्रेयस निश्चिंत पुरानी स्ट्रेटेजी में ही काम कर रहा था। जबकि उसे अपने बिजनेस में कुछ फेरबदल करने की जरूरत थी। उसने ऐसा कुछ नहीं किया और न ही इसकी जरूरत समझी। पिछले दिनों अचानक पता चला कि उसकी कंपनी का फायदा करीब 60 प्रतिशत गिर चुका है। श्रेयस को यकीन ही नहीं हुआ कि उसका लगभग दीवालिया निकल चुका है। इस घाटे से वह कैसे उबरे, वह समझ ही नहीं पा रहा था। दिनों दिन उसका तनाव बढ़ता जा रहा था। यहां तक कि इस घाटे की वजह का असर उसकी निजी जीवन पर भी गहरा पड़ रहा था।
समस्या क्या है
- सही तरह से प्लानिंग न करना।
- मौके के हिसाब से खुद को न बदलना।
- पहले जो प्लानिंग चलती आ रही है, वही सही है। ऐसी सोच रखना।
- खुद को अपडेट न करना।
- कंपीटीशन के स्तर को न समझना।
- अपने कंपीटीटर के बारे में न जानना।
- प्लान बी के लिए तैयार न रहना।
- अचानक घाटा होने पर क्या कर सकते हैं, इसके बारे में न सोचना।
- दूरदर्शिता वाली नजर न रखना।
- आपके बिजनेस में किस तरह के बदलाव की जरूरत है, इस बारे में न सोचना।
- अपने प्रोडक्ट या बिजनेस के लिए ऑनलाइन प्लाटफाॅर्म का उपयोग न करना।
- अपने प्रोडक्ट का प्रमोशन न करना।
- जब आपके कर्मचारी कुछ नया कोशिश करे तो इस पर भरोसा न करना।
- हर काम खुद करने की कोशिश करना।
मानसिक तनाव
- बिजनेस ठप्प होने की वजह से आय की टेंशन होना।
- घर कैसे चलेगा, यह सोचना।
- कर्मचारी की तनख्वाह कहां से आएगी, यह सोचना।
- प्लानिंग कैसे फेल हुई, इस पर विचार करना।
- अपनी हार स्वीकार न कर पाना।
- दूसरों को बेहतर करते देख कोफ्त होना।
- गलती कहां हुई, यह सोचना।
- बार-बार यही सोचना कि काश ये एक सपना हो। जबकि हकीकत आप जानते हैं।
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आप क्या करें
- हार न स्वीकारने से सच्चाई नहीं बदल जाएगी। इसलिए अपनी हार स्वीकार करें।
- गलती कहां हुई, इस पर गौर करें।
- खुद को हमेशा अपडेट रखें।
- अपने कंपीटीटर को जानें-समझें।
- कंपीटीशन को पहचानें।
- मार्केट में क्या डिमांड है, इसे समझें।
- पैनिक न करें।
- अपनी स्ट्रेटेजी में जरूरी बदलाव करें। हार पर नहीं बल्कि जीत पर फोकस करें।
- बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर सोचें।
- अपने सहकर्मियों पर भरोसा रखें।
- यदि सहकर्मियों से गलती हो जाए, तो आप भी जानने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों हुआ।
- हमेशा एक नहीं बल्कि कई प्लानिंग्स रखें।
- बिज़नेस कैसे किया जाता है, इस पर किसी अनुभवी से बातचीत करें।
- दीवालिया होने पर हिम्मत न हारें।
- आगे के बारे में सोचें।
- अपने हौसले बुलंद रखें।
- ध्यान रखें कि मानसिक रूप से हार व्यक्ति को ज्यादा तोड़ती है। खुद को मजबूत बनाए रखें। तभी आप जल्द से जल्द हार से उबर पाएंगे।
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